Class 10th Science VVI Subjective Question Short Type Chapter Wise मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार, Class 10th Science VVI Question 2021
2. मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार
1. दृष्टिदोष क्या है ? यह कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर- सामान्य नेत्र द्वारा 25 सेमी० पर की वस्तु को स्पष्ट देखा जाता है। जब इस स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी पर वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है तो कहा जाता है कि नेत्र में दृष्टिदोष है। यह मुख्यतः चार प्रकार का होता है-
(i) लघु दृष्टिदोष
(ii) दीर्घ दृष्टिदोष
(iii) जरा दृष्टिदोष
(iv) अबिंदुकता
2. दूर-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश में देखते समय चश्मा उतारना पसंद करता है। क्यों ?
उत्तर- दूर-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की चीजों को आसानी से देख पाता है। अत: वह चश्मा उतारकर ही दूर की वस्तुओं को आसानी से देख पाता है। यही कारण है कि दूर-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश की ओर देखने पर अपना चश्मा उतार देता है।
3. निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में किन्हीं तीन अंतरों को लिखें।
उत्तर- (i) दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की चीजों को स्पष्ट देखता है लेकिन निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की वस्तुओं को नहीं देख पाता है।
(ii) दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति नजदीक की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है लेकिन निकट-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आसानी से स्पष्ट देख पाता है।
(iii) दूर दृष्टि दोष के निवारण में चश्मे में उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है लेकिन निकट दृष्टि दोष वाले के निवारण हेतु चश्मे में अवतल लेंस का उपयोग होता है।
4. आँखों की सुग्राहिता का क्या अर्थ है ?
उत्तर– मद्धिम प्रकाश में भी वस्तु को देखने वाली आँख को सुग्राही आँख कहा जाता है। यह गुण सुग्राहिता कहलाती है।
5. नेत्र में जरा दृष्टि दोष का क्या कारण है ?
उत्तर- यह बुढ़ापे का नेत्र-दोष है। इस उम्र में नेत्र में सिलियरी पेशियों का लचीलापन समाप्त हो जाता है। नेत्र में संधान शक्ति की कमी के कारण दूर बिंदु और निकट बिंदु का समंजन नहीं हो पाता है।
6. जरा-दूरदृष्टिता क्या है ?
उत्तर- आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ मानव नेत्र की समंजन-क्षमता घट जाती है। अधिकांश व्यक्तियों का निकट बिंदु दूर हट जाता है। संशोधक चश्मों के बिना उन्हें पास की वस्तुओं को आराम से देखने में कठिनाई होती है। इस दोष को जरा दूर-दृष्टिता कहा जाता है। यह दोष पक्ष्माभी पेशियों के धीरे-धीरे दुर्बल होने तथा क्रिस्टलीय लेंस के लचीलेपन में कमी आने के कारण उत्पन्न होता है। कभी-कभी नेत्र में दोनों प्रकार के दोष उत्पन्न हो जाते हैं जिन्हें द्विफोकसी लेंसों की सहायता से दूर किया जाता है।
7. स्पेक्ट्रम क्या है ?
उत्तर-जब श्वेत प्रकाश (सूर्य का प्रकाश) किसी प्रिज्म से होकर गुजरता है तो यह सात रंगों में विभाजित हो जाता है। प्रकाश के अवयवी वर्गों के इस पैटर्न को स्पेक्ट्रम कहते हैं।
8. टिंडल प्रभाव क्या है ?
उत्तर- जब किसी घने जंगल के वितान से सूर्य का प्रकाश गुजरता है तो टिंडल प्रभाव को देखा जाता है। जंगल के कुहासे में जल की सूक्ष्म बूंदें प्रकाश का प्रकीर्णन कर देती हैं।
9. क्या कारण है कि सूर्य क्षैतिज के नीचे होते हुए भी हमको सूर्यास्त तथा सूर्योदय के समय दिखाई देता है ?
उत्तर- वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य हमें सूर्योदय से करीब 2 मिनट पहले दीख जाता है। इसी तरह वास्तविक सूर्यास्त के करीब 2 मिनट बाद तक सूर्य दिखाई देता रहता है। वास्तविक सूर्योदय से मतलब है, सूर्य का वास्तव में क्षैतिज दिशा में होना। इसी वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का गोला चपटा प्रतीत होता है।
10. रेलवे सिग्नल में लाल रंग का प्रयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर- लाल रंग का तरंगदैर्घ्य सब रंगों से अधिक होता है। अतः लाल रंग के प्रकाश का विचलन सबसे कम होता है। यही कारण है कि रेलवे सिग्नल का प्रकाश लाल रंग का होता है।
11. दीर्घ दृष्टिदोष तथा निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं ?
उत्तर- दीर्घ दृष्टि दोष युक्त व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देख पाता है लेकिन निकट की वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति निकट की वस्तुओं को आसानी से देख पाता है लेकिन दूर की वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाता है।
12. मोतियाबिंद क्या है ?
उत्तर- बढ़ती उम्र के कारण कुछ व्यक्तियों के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस धुंधला तथा दुधिया हो जाता है। इसके चलते नेत्र से किसी वस्तु को देखना आसान नहीं होता है। इसे मोतियाबिंद कहा जाता है। इस दोष को शल्य चिकित्सा से दूर किया जाता है।
13. प्रकाश का वर्ण विक्षेपण से आप क्या समझते हैं ? इन्द्रधनुष की व्याख्या करें।
उत्तर- जब श्वेत प्रकाश को किसी प्रिज्म से होकर गुजारा जाता है तो यह सात रंगों में विभक्त हो जाता है। इसे वर्ण विक्षेपण कहा जाता है। ये सात रंग “बैनीआहपीनाला” से सूचित होते हैं। वर्ण विक्षेपण जब आकाश में पानी के लटके हुए बूंदों से होता है तो इन्द्रधनुष का निर्माण होता है। पर इन्द्रधनुष वर्षा के पश्चात आकाश में जल के सक्ष्मकणों में दिखाई देने वाले । प्राकृतिक स्पेक्ट्रम हैं। यह वायुमंडल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूंदों द्वारा सूर्य के | प्रकाश के परिक्षेपण के कारण प्राप्त होता है। इन्द्रधनुष हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा में बनता है। जल की छोटी-छोटी बूंदें छोटे प्रिज्मों की भाँति कार्य करती है। सूर्य | के आपतित प्रकाश को ये बूंदें अपवर्तित तथा विक्षेपित करती है, तथा फिर आन्तरिक परावर्तित करती हैं, अन्ततः जल की बूंद से बाहर निकलते समय प्रकाश को पुनः अपवर्तित करती है। प्रकाश के परिक्षेपण तथा आन्तरिक परावर्तन के कारण विभिन्न वर्ण प्रेक्षक के नेत्रों तक पहुँचते हैं और उन्हें आकाश में सात रंगों का बैंड इन्द्रधनुष के रूप में दिखाई पड़ता है।
14. मानव नेत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर- मानव नेत्र एक अत्यंत मूल्यवान एवं सुग्राही ज्ञानेंद्रिय है। यह हमें अद्भूत संसार और चारों ओर के रंगों को देखने में मदद पहुँचाता है। समस्त ज्ञानेद्रियों में मानव नेत्र सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे चारों ओर रंग-बिरंगे संसार को देखने योग्य बनाता है।
मानव नेत्र एक कैमरे की भाँति है। इसका लेंस निकाय दृष्टिपटल पर प्रतिबिंब बनाता है। प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर नेत्र में प्रवेश करता है। इस झिल्ली को कॉर्निया कहा जाता है। यह झिल्ली नेत्र गोलक के अग्र पृष्ठ पर एक पारदर्शी उभार बनाती है। नेत्र गोलक का व्यास लगभग 2.3 cm होता है। नेत्र गोलक किसी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर बनाता है। लेंस अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर बिम्ब बनाता है। कोर्निया के पीछे एक संरचना होती है जिसे परितारिका कहते हैं। परितारिका एक गहरा पेशीय, डायफ्राम है जो पुतली के साइज को नियंत्रित करता है। पुतली आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है। रेटिना पर बनने वाला प्रतिबिंब उल्टा तथा वास्तविक होता है। रेटिना एक सूक्ष्म झिल्ली होती है और इस पर प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं। प्रदीप्त होने पर प्रकाश-सग्राही कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं और विद्युत सिग्नल उत्पन्न करती है। ये सिग्नल दृक्-तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुँच जाती है। मस्तिष्क इन सूचनाओं को संसाधि त करता है और तब हम किसी वस्तु को उसी के साइज का सीधा देख लेते हैं ।