1. लक्ष्मी कौन थी ? उसकी पारिवारिक परिस्थिति का चित्र प्रस्तत कीजिए।
उत्तर- लक्ष्मी गाँव में रहनेवाली एक गरीब, पर संघर्षशील महिला है जिसका पति कलकत्ता में नौकरी करता है। पति लक्ष्मण कलकत्ता में नौकरी करके पत्नी को जो कुछ भेजता है, उससे गुजारा न होने की वजह से तहसीलदार साहब के घर का छिटपुट काम करके लक्ष्मी जो कुछ पाती है, उससे अपनी कमी पूरी कर लिया करती है। उसके पूर्वज एक बीघा खेत छोड गए हैं। एक टुकड़ी जमीन भी है। हल किराये पर लेकर उस बीघे भर में खेती करवायी थी लक्ष्मी ने। सूखे से वह हार नहीं मानती और बाढ़ का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहती थी। देबी नदी के बाँध के नीचे लक्ष्मी का घर था। फिर भी बाढ़ से कभी वह हार नहीं मानती थी।
2.कहानी “ढहते विश्वास’ के शीर्षक की सार्थकता पर विचार करें।
उत्तर– कहानीकार सातकोड़ी होता ने अपनी कहानी का शीर्षक दिया है _ ‘ढहते विश्वास’ । विश्वास एक-एक कड़ी जोड़कर बनता है । एक-एक कड़ी टूटने से विश्वास की दीवार गिर जाती है । लोगों का विश्वास भगवान पर से भी उठ जाता है । विपत्ति भी अकेले नहीं आती । विधि के निर्देशों का पालन हमेशा मानव करता आया है । मनुष्य कभी विरोध नहीं कर सका । यही उसकी विडम्बना है, यही उसका बेसहारापन है । गरीबी की मार सहते हुए में बाढ़ आ जाए या सूखा आ जाय तो संकट और गहरा हो जाता है । विश्वास ढहता नहीं। लेकिन यह कहानी ढहते विश्वास पर खड़ी की गयी है । अतः यह शीर्षक अत्यन्त प्रभावोत्पादक है। यह शीर्षक अत्यन्त प्रभविष्णु है । यह शीर्षक सार्थक एवं इस कहानी के केन्द्र में हैं।
3. मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
उत्तर- मंगम्मा का चरित्र अत्यन्त उत्तम है। वह परिश्रमी स्त्री है । वह दही बेचती है । पति नहीं रहने पर किसी ऐरे–गैरे के चक्कर में वह नहीं पड़ती। वह अपना धर्म बचाए रखती है । हाँ, बहू से कुछ खटपट जरूर हुई । पर बहू ने पोते को वात्सल्य हेतु सास के पास भेज दिया । सास–बहू–पोते सभी एक दिन दही बेचने गए । बहू सास के अनुकूल हो गयी । कथावाचिका को लगा मंगम्मा भी अक्ल से कुछ कम नहीं । घर–घर का किस्सा है- माँ बेटे पर से अपना हक नहीं छोड़ना चाहती, बहू पति पर अधिकार जमाना चाहती है । यह सारे संसार का किस्सा है । यह नाटक चलता ही रहता है। मंगम्मा उदार चरित्र की सास है।



