Social Science Important Subjective Class 10th

Social Science Important Subjective Question Class 10 / Bihar Board

1. हिन्द-चीन उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था ? अथवा, हिन्द-चीन में फ्रांसीसियों द्वारा उपनिवेश स्थापना के किन्हीं तीन उद्देश्यों का उल्लेख करें।

उत्तर- फ्रांस द्वारा हिन्द-चीन में उपनिवेश स्थापना के उद्देश्य इस प्रकार थे –

(i) व्यापारिक प्रतिस्पर्धा- फ्रांस द्वारा हिन्द-चीन में उपनिवेश स्थापना का मुख्य उद्देश्य डच एवं ब्रिटिश कंपनियों के व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था। भारत में फ्रांसीसी पिछड़ रहे थे तथा चीन में उनके व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी मुख्यतः अंग्रेज थे। अतः सुरक्षात्मक आधार के रूप में उन्हें हिन्द-चीन का क्षेत्र उचित लगा जहाँ से वे भारत एवं चीन दोनों तरफ कठिन परिस्थितियों को संभाल सकते थे। 

(ii) कच्चे माल तथा बाजार की उपलब्धता- औद्योगिक क्रांति के बाद विभिन्न उद्योगों के सुचारुपूर्वक संचालन के लिए भारी मात्रा में कच्चा माल तथा तैयार उत्पादों की खपत हेतु बाजार की आवश्यकता थी। अतः इन दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपनिवेश की स्थापना आवश्यक हो गई। 

iii) गोरे होने का दायित्व- यूरोपीय गोरे लोगों का यह स्वघोषित दायित्व था कि वे पिछड़े काले लोगों के समाज को सभ्य बनाएँ। वे इसे ईश्वर प्रदत्त दायित्व समझते थे। 

इसके अतिरिक्त कैथोलिक धर्म का प्रचार भी उपनिवेश स्थापना का एक उद्देश्य था। 


2. माई-ली गाँव की घटना क्या थी ? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर-1968 में युद्ध के दौरान दक्षिण वियतनाम के एक गाँव माईली में लोमहर्षक घटना घटीअमेरिकी सेना ने अपनी पराजय की बौखलाहट में इस गाँव पर आक्रमण कर दियापूरे गाँव को घेरकर पुरुषों को मार दिया गयास्त्रियाँ, यहाँ तक कि बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार कर उनकी भी हत्या कर दी गईउसके बाद पूरे गाँव को आग लगाकर जला दिया गयासमाचार-पत्रों ने इस घटना का विवरण छापा। इसे अमेरिका के प्रति तीखी प्रतिक्रिया हुई तथा अमेरिकन प्रशासन की कटु आलोचना हुई। 

प्रभाव अमेरिका ने वियतनामी युद्ध में जो नीति अपनाई उसकी तीखी भर्त्सना हुई। अमेरिका में ही नागरिक सरकारी नीतियों के विरोधी हो गए। वियतनाम में अमेरिका की विफलता स्पष्ट हो गयी। उसे न तो वियतनामी जनता का समर्थन मिला और न ही वियतनामियों के प्रतिरोध को दबा सका। अमेरिकी धन-जन की भी क्षति हुई। वियतनामी युद्ध को “पहला टेलीविजन युद्ध” कहा गया। युद्ध के लोमहर्षक दृश्यों को देखकर अमेरिका और राष्ट्रपति निक्सन की सर्वत्र आलोचना होने लगी। बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय दबाव और आलोचना के वशीभूत राष्ट्रपति निक्सन ने 1970 में शांति वार्ता के लिए “पाँच सूत्री प्रस्ताव” प्रस्तुत किया। 


3. असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिणाम का वर्णन करें।

उत्तर महात्मा गाँधी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया प्रथम जन-आंदोलन असहयोग आंदोलन था। इस आंदोलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे— 

(i) रॉलेट कानून- 1919 ई० में न्यायाधीश सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में रालेट कानून (क्रांतिकारी एवं अराजकता अधिनियम) बना। इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार कर जेल में डाला जा सकता था तथा इसके खिलाफ वह कोई भी अपील नहीं कर सकता था। . 

(ii) जालियाँवाला बाग हत्याकांड-13 अप्रैल, 1919 ई० को बैसाखी मेले के अवसर पर पंजाब के जालियाँवाला बाग में सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ लोग एकत्रित हुए थे। जनरल डायर के द्वारा वहाँ पर निहत्थी जनता पर गोली चलवाकर हजारों लोगों की जाने ले ली गयी। गाँधीजी ने इस पर काफी प्रतिक्रिया व्यक्त किया। 

(iii) खिलाफत आंदोलन- इसी समय खिलाफत का मुद्दा सामने आया। गाँधीजी ने इस आंदोलन को अपना समर्थन देकर हिंदू-मुस्लिम एकता स्थापित करने और एक बड़ा सशक्त अंग्रेजी राज विरोधी असहयोग आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया। . 

परिणाम- 5 फरवरी, 1922 ई० को गोरखपुर के चौरी-चौरा नामक स्थान पर हिंसक भीड़ द्वारा थाने पर आक्रमण कर 22 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गयी। जिससे नाराज होकर गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को तत्काल बंद करने की घोषणा की। असहयोग आंदोलन का व्यापक प्रभाव पड़ा। असहयोग आंदोलन के अचानक स्थगित हो जाने और गाँधीजी की गिरफ्तारी के कारण खिलाफत के मुद्दे का भी अंत हो गया। हिंदू-मुस्लिम एकता भंहो गई तथा संपूर्ण भारत में संप्रदायिकता का बोलबाला हो गया। न ही स्वराज की प्राप्ति हुई और न ही पंजाब के अन्यायों का निवारण हुआ। असहयोग आंदोलन के परिणामस्वरूप ही मोतीलाल नेहरू तथा चितरंजन दास के द्वारा स्वराज पार्टी की स्थापना हुई।


 

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