10. तत्त्वों का आवर्ती वर्गीकरण
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1. न्यूलैंड्स के अष्टक नियम को लिखें।
उत्तर- 1866 ई० में अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन न्यूलैंड्स ने सात तत्त्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया। उन्होंने सबसे कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्व हाइड्रोजन से आरंभ किया तथा 56वें तत्त्व थोरियम पर इसे समाप्त किया। उन्होंने पाया कि प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुणधर्म पहले तत्त्व के गुणधर्म के समान है। उन्होंने इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की और इसलिए इन्होंने अष्टक का सिद्धांत कहा। इसे “न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धांत” कहा जाता है।
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2. तत्त्वों के वर्गीकरण में डॉबेराइनर के क्या आधार थे ?
उत्तर- डॉबेराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्त्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने तीन-तीन तत्त्व वाले कुछ समूहों को चुना एवं उन समूहों को त्रिक कहा। डॉबेराइनर ने बताया कि त्रिक के तीनों तत्त्वों का उनके परमाणु द्रव्यमान, के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्त्व का परमाणु द्रवयमान अन्य दो तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता है।
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3. आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी ?
उत्तर- आवर्त में बायीं से दायीं ओर बढ़ने पर बाहरी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमानुसार बढ़ती जाती है। अतः अष्टक के प्राप्ति में एकांतर रूप से कम इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होगी। अतः इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति बढ़ती है।
4. मेंडलीफ ने तत्त्वों का वर्गीकरण किस आधार पर किया ?
उत्तर- मेंडलीफ ने अपनी सारणी में तत्त्वों को उनके मूल गुणधर्म, परमाणु द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणधर्मों में समानता के आधार पर व्यवस्थित किया।
5. आवर्त में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति कैसे बदलेगी ?
उत्तर- आवर्त में जैसे-जैसे संयोजकता कोश के इलेक्ट्रॉनों पर किया जाने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है, इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति घट जाती है।
6. मेंडलीफ आवर्त सारणी में कभी-कभी अधिक द्रव्यमान वाले तत्त्व को कम द्रव्यमान वाले तत्त्व के पहले क्यों रखना पड़ा ?
उत्तर- क्रम इसलिए उलटना पड़ा ताकि समान गुणधर्म वाले तत्त्वों को एक साथ रखा जा सके।
जैसे—कोबाल्ट (58.9) को सारणी में निकेल (58.7) के पहले रखा गया है। इसी प्रकार Te तत्त्व (127.60) को आयोडिन (I) परमाणु द्रव्यमान 126.90 के पहले रखा गया है।
7. आधुनिक आवर्त सारणी में कैल्सियम (परमाणु संख्या 20) के चारों ओर 12, 19, 21 तथा 38 परमाणु संख्या वाले तत्त्व स्थित हैं। इनमें से किन तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म कैल्सियम के समान हैं।
उत्तर- Mg (12) और स्ट्रॉशियम (38) के गुणधर्म से Ca का गुणधर्म मिलता जुलता है। Mg और Sr के भौतिक और रासायनिक गुण Ca से मिलता जुलता है।
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8. आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर संयोजकता किस प्रकार परिवर्तित होती है ?
उत्तर- आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर क्रमानुसार परमाणु संख्या में वृद्धि होती है और संयोजकता भी इस क्रम में बढ़ते जाता है। जैसे आवर्त तीन के तत्त्व Na और Mg है। इनकी संयोजकताएँ 1 और 2 है।
9. उस तत्त्व के नाम बताएँ :
(i) जिसके नाभिक में न्यूट्रॉन नहीं है।
(ii) जो एक मात्र द्रव धातु है।
(iii) जो धातु और अधातु दोनों के गुण दर्शाता है।
उत्तर- (i) हाइड्रोजन (H)
(ii) पारा (Hg)
(iii) सिलकन (Si)
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10. आवर्त सारणी के वर्ग 1 के तीन तत्त्वों के नाम और इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें। इनमें कितने संयोजकता इलेक्ट्रॉन हैं।
उत्तर- वर्ग 1 के तीन तत्त्व निम्नांकित हैं।
(i) लीथियम
(ii) सोडियम तथा
(iii) पोटाशियम
इलेक्ट्रोनिक विन्यास–
(i) Li-परमाणु संख्या 3, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 1
(ii) सोडियम परमाणु संख्या-11(Na) ,इलेक्ट्रॉनिक विन्यास–2, 8, 1
(iii) पोटाशियम (K) परमाणु संख्या-19 , इलेक्ट्रॉनिक विन्यास-2, 8, 8, 1
11. हीलियम एक अक्रियाशील गैस है जबकि निऑन की अभिक्रियाशीलता अत्यंत कम है। इनके परमाणुओं में कोई समानता है ?
उत्तर- दोनों तत्त्वों के संयोजकता इलेक्ट्रॉन शून्य (0) हैं। हीलियम के अधात्विक अभिलक्षण निऑन के अधात्विक अभिलक्षण से ज्यादा है अर्थात् निऑन तत्त्व की अभिक्रियाशीलता हीलियम से कम है।
दोनों तत्त्वों में शून्य संयोजकता है। अतः इसे शून्य संयोजकता के आधार पर समान माना जाता है।
12. नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फॉस्फोरस (परमाणु संख्या 15) आवर्त सारणी के समूह 15 के तत्त्व है। इन दोनों तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इनमें से कौन-सा तत्त्व अधिक ऋण-विद्युत होगा और क्यों ?
उत्तर- N परमाणु संख्या 7
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2, 5)
P फॉस्फोरस का परमाणु संख्या 15
इसिलिय, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 5
N का परमाणु साइज फॉस्फोरस के परमाणु साइज से कम है। अतः N अधिक ऋण विद्युत होगा और P अपेक्षाकृत कम होगा।
13. आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या क्यों घटती है ?
उत्तर- नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का आकार घटता है और इसकी परमाणु त्रिज्या घट जाती है।
14. कार्बन, ऑक्सीजन, फ्लोरीन तथा नियॉन किस वर्ग का सदस्य है ?
उत्तर- कार्बन वर्ग 14 का सदस्य है।
ऑक्सीजन वर्ग 16 का सदस्य है।
फ्लोरीन वर्ग 17 का सदस्य है।
नियॉन वर्ग 18 का सदस्य है।
15. उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया है ?
उत्तर- उत्कृष्ट गैसें He, Ar, Ne आदि के परमाणु क्रमांक क्रमशः 2, 18, 10 हैं। इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2), (2, 8, 8), (2,8) है। इनकी संयोजकताएँ शून्य हैं अतः इन्हें अलग समूहों में रखा गया क्योंकि इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास भिन्न-भिन्न है ?
16. पहले, दूसरे और तीसरे आवर्त में कितने तत्त्व हैं ?
उत्तर-
पहले आवर्त में 2 तत्त्व हैं।
दूसरे आवर्त में 8 तत्त्व हैं।
तीसरे आवर्त में 8 तत्त्व हैं।
17. मेंडलीव के आवर्त सारणी की विसंगतियों को लिखें।
उत्तर- मेंडलीव के आवर्त सारणी के विसंगतियाँ निम्न है—
(i) निश्चित रूप से आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का नियत स्थान नहीं दिया जा सकता है। यह मेंडलीव के आवर्त सारणी की पहली कमी थी। उन्होंने अपनी सारणी में हाइड्रोजन को उचित स्थान नहीं दे सके।
(ii) मेंडलीव आवर्त सारणी में समस्थानिकों और नोबल गैसों के लिए कोई स्थान नहीं दिया गया।
(iii) मेंडलीव आवर्त सारणी में एक तत्त्व से दूसरी तत्त्व की ओर बढ़ने पर परमाणु द्रव्यमान नियमित रूप से नहीं बढ़ते। इसलिए यह अनुमान लगाना होगा कि दो तत्त्वों के बीच कितने तत्त्व खोजे जा सकते हैं। जब भारी तत्त्वों पर विचार करते हैं तो कठिनाई उत्पन्न हो जाती है।
18. आधुनिक आवर्त सारणी के उपलब्धियों को लिखें।
उत्तर-
(i) आधुनिक आवर्त सारणी परमाणु-संख्या पर आधारित है जो अधिक वैज्ञानिक है।
(ii) हाइड्रोजन को निश्चित स्थान प्रदान किया गया है।
(iii) प्रत्येक तत्त्व की स्थिति उसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के क्रम में
(iv) प्रत्येक आवर्त क्षार धातु (प्रथम आवर्त को छोडकर से पान होता है और अक्रिय तत्त्व से समाप्त होता है।
(v) अज्ञात तत्त्वों के लिए आवर्त सात में रिक्त स्थान छोड़ा गया है जिससे बहुत से तत्त्वों की खोज हुई है।
(vi) आधुनिक आवर्त सारणी में धातु एवं अधातु को उपधातुओं दाग – अलग किया गया है।
(vii) आधुनिक आवर्त सारणी में सामान्य तत्त्वों, संक्रमण तत्त्वों एवं अक्रिय गैसों को स्पष्ट रूप से पृथक रखा गया है।
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19. आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विसंगतियों का निवारण कैसे किया गया है ?
उत्तर- आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विसंगतियों का निवारण (Removal of anomalies of Mendeleev’s periodic table by Modern periodic table)—आधुनिक आवर्त नियम के प्रतिपादन से मेंडलीफ की आवर्त सारणी के अधिकांश दोष दूर हो गये जबकि मेंडलीफ की आवर्त सारणी के तत्त्व आधुनिक आवर्त सारणी में ठीक उसी जगह पर हैं। जैसे कोबाल्ट (Co) का परमाणु-संख्या 27 एवं निकेल (Ni) का परमाणु-संख्या 28 है। इसलिए आधुनिक आवर्त सारणी में कोबाल्ट को पहले रखा गया और निकेल को बाद में रखा गया।
किसी तत्त्व के सभी समस्थानिकों में प्रोटॉनों की संख्या समान होती है इसलिए उनके परमाणु संख्या भी समान होते हैं। अतः एक तत्त्व के सभी समस्थानिकों (जैसे—क्लोरीन के समस्थानिक Cl-35 और Cl-37) को तत्त्व के साथ आधुनिक आवर्त सारणी के उसी समूह में एक ही स्थान पर रखा गया।
तत्त्व का परमाणु-संख्या एक पूर्ण संख्या होती है, जैसे-1, 2, 3, …… इत्यादि। अतः यदि किसी तत्त्व का परमाणु संख्या पूर्णांक जैसे—1.5, 2.5, 3.5, ..…. इत्यादि हो, तो उसे आधुनिक आवर्त सारणी में स्थान मिलना संभव नहीं होगा।
हाइड्रोजन (H) विद्युत धनात्मक तत्त्व है और इसके गुण क्षारीय धातुओं के समान है। अतः हाइड्रोजन को आधुनिक आवर्त सारणी में प्रथम आवर्त एवं प्रथम समूह में रखा गया है।
20. मेंडलीफ के वर्गीकरण की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर- (i) हाइड्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्षार धातुओं से मिलता है। क्षार धातुओं की भाँति हाइड्रोजन भी हैलोजन, ऑक्सीजन एवं सल्फर के साथ एक जैसे सूत्र वाले यौगिक बनाती है।
दूसरी ओर हैलोजन की भाँति हाइड्रोजन भी द्विपरमाणुक अणु के रूप में पाई जाती है एवं धातुओं और अधातुओं के साथ यह संयोजक यौगिक बनाती है।
निश्चित रूप से आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को नियत स्थान नहीं दिया जा सकता है। यह मेंडलीफ के आवर्त सारणी की पहली कमी थी। उन्होंने अपनी सारणी में हाइड्रोजन को उचित स्थान नहीं दे सके।
(ii) मेंडलीफ आवर्त सारणी में समस्थानिकों और नोबुल गैसों के लिए कोई स्थान नहीं दिया गया।
(iii) मेंडलीफ आवर्त सारणी में एक तत्त्व से दूसरी तत्त्व की ओर बढ़ने पर परमाणु द्रव्यमान नियमित रूप से नहीं बढ़ते। इसलिए यह अनुमान लगाना होगा कि दो तत्त्वों के बीच कितने तत्त्व खोजे जा सकते हैं। जब भारी तत्त्वों पर विचार करते है तो कठिनाई उत्पन्न हो जाती है।
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