कक्षा -10
समाजवाद एवं साम्यवाद
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1. पूँजीवाद क्या है ?
उत्तर- पूँजीवाद एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें उत्पादन के सभी साधनों, । कारखानों तथा विपणन में पूंजीपतियों का एकाधिकार होता है। ऐसी व्यवस्था में बड़े पैमाने पर उत्पादन पूँजीपति अपने निहित स्वार्थ के लिए करते हैं।
2. समाजवाद क्या है ?
उत्तर- समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया आयाम दिया। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। यह एक शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है।
3. नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धान्तों के साथ कैसे समझौता थी ?
उत्तर- साम्यवादी व्यवस्था में व्यक्तिगत सम्पत्ति की अवधारणा नहीं थी। परंतु लेनिन ने तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किसानों को जमीन का स्वामित्व दिया। व्यक्तिगत स्वामित्व में उद्योग चलाने का भी अधिकार नई आर्थिक नीति में दिया गया। स्पष्टतः यह नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता थी परंतु इससे सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ।
4. स्टालिन का परिचय दीजिए।
उत्तर- लेनिन के बाद सत्ता स्टालिन के हाथों में आई। सोवियत संघ ने विकास के लिए उसने तीन पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया। कृषि, शिक्षा में सुधार किया तथा श्रमिकों की स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास किया। साथ ही उसने ऐसी नीति बनाई जिससे सर्वाधिकारी शासन की स्थापना हुई।
5. रूस की संसद को क्या कहा जाता था ?
उत्तर- रूस की संसद को ड्यूमा कहा जाता था।
6. रूस की क्रांति किसके नेतृत्व में हुई थी ?
उत्तर- 1917 ई० की रूसी क्रांति बोल्शेविक दल के नेता लेनिन के नेतृत्व में हुई थी।
7. ‘रूस की क्रांति’ ने पूरे विश्व को प्रभावित किया। किन्हीं दो उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर- रूस की क्रांति ने पूरे विश्व को प्रभावित किया। इसके उदाहरण इस प्रकार हैं –
(i) इस क्रांति के पश्चात श्रमिक या सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो गई तथा इससे अन्य क्षेत्रों में भी आंदोलन को प्रोत्साहन मिला।
(ii) रूसी क्रांति के बाद विश्व, विचारधारा के स्तर पर दो खेमों में विभक्त हो गया—पूर्वी यूरोप और पश्चिमी यूरोप।
(iii) द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पूँजीवादी विश्व तथा सोवियत रूस के बीच शीतयुद्ध की शुरुआत हुई और आगामी चार दशकों तक दोनों खेमों के बीच हथियारों की होड़ जारी रही।
8. रूस में कृषि दासता की प्रथा किस वर्ष समाप्त हुई ?
उत्तर- रूस में कृषि दासता की समाप्ति जार एलेक्जेंडर द्वितीय के द्वारा 1861 ई० में हुई।
9. 1917 की वोल्शेविक क्रांति एक सर्वहारा क्रांति थी। स्पष्ट करें।
उत्तर- 1917 की वोल्शेविक क्रांति के पश्चात रूस ने सर्वहारा वर्ग को अनेक । सुविधाएँ प्राप्त हुई। किसानों और मजदूरों को मतदान के अतिरिक्त अन्य राजनीतिक । अधिकार मिले। व्यक्तिगत संपत्ति की समाप्ति तथा उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया गया, जिससे एक वर्गहीन समाज का निर्माण तथा सामाजिक समानता की स्थापना हई। इन परिवर्तनों से रूस में किसानों तथा मजदूरों का सम्मान बढ़ा। इसलिए 1917 की वोल्शेविक क्रांति को सर्वहारा क्रांति कहा जाता है।
10. समाजवादी दर्शन क्या है ?
उत्तर- समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। समाजवादी, शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहते हैं। समाजवादी व्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों, कारखानों तथा विपणन में सरकार का एकाधिकार हो। समाजवादी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है।
11. साम्यवाद एक नयी आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे ?
उत्तर- रूस में क्रांति के बाद नई सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। सामाजिक असमानता समाप्त कर दी गयी.। वर्गविहीन समाज का निर्माण कर रूसी समाज का परंपरागत स्वरूप बदल दिया गया। पूँजीपति और जमींदार वर्ग का उन्मूलन कर दिया गया। समाज में एक ही वर्ग रहा, जो साम्यवादी नागरिकों का था। काम के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बना दिया गया। व्यक्तिगत संपत्ति समाप्त कर पूँजीपतियों का वर्चस्व समाप्त कर दिया गया। देश की सारी संपत्ति का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इस प्रकार, एक वर्गविहीन और शोषणमुक्त सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। इस प्रकार हम कह सकते हैं की रूसी क्रांति के बाद साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी।
12. रूस में प्रति-क्रांति क्यों हुई? बोल्शेविक सरकार ने इसका सामना कैसे किया ?
उत्तर- बोल्शेविक क्रांति की नीतियों से वैसे लोग व्यग्र हो गए जिनकी संपत्ति और अधिकारों को नई सरकार ने छीन लिया था। अतः सामंत, पादरी, पूँजीपति, नौकरशाह सरकार के विरोधी बन गए। वे सरकार का तख्ता पलटने का प्रयास कर रहे थे। उन्हें विदेशी सहायता भी प्राप्त थी। लेनिन ने प्रति क्रांतिकारियों का कठोरता पूर्वक दमन करने का निश्चय किया। इसके लिए ‘चेका’ नामक विशेष पुलिस दस्ता का गठन किया गया। इसने निर्ममतापूर्वक हजारों षडयंत्रकारियों को मौत के घाट उतार दिया। चेका के लाल आतंक ने षडयंत्रकारियों की कमर तोड़ दी।
13. 1917 ई० की क्रांति के समय रूस में किस राजवंश का शासन था ? इस शासन का स्वरूप क्या था ?
उत्तर- 1917 ई० की क्रांति के पूर्व रूस में रोमोनोव वंश का शासन था। इस वंश के शासन का स्वरूप स्वेच्छाचारी राजतंत्र था। रूस का सम्राट जार अपने आपको ईश्वर का प्रतिनिधि समझता था। वह सर्वशक्तिशाली था तथा राज्य की सारी शक्तियाँ उसी के हाथों में केंद्रित थी। राज्य के अतिरिक्त वह रूसी चर्च का भी प्रधान था। प्रशा जार और उसके अधिकारियों से त्रस्त था।
14. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय ने क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया। कैसे ?
उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध में रूस मित्र राष्ट्रों की ओर से शामिल हुआ था। जार का मानना था कि युद्ध के अवसर पर जनता सरकार का समर्थन करेगी तथा देश में आंतरिक विद्रोह कमजोर पड़ जाएगा। परंतु जार की यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। विश्वयुद्ध में रूस की लगातार हार होती गई। सैनिकों के पास न तो अच्छे अस्त्र-शस्त्र थे और न ही पर्याप्त रसद एवं वस्त्र। रूसी सेना की कमान स्वयं जार ने सँभाल रखी थी। पराजय से उसकी प्रतिष्ठा को गहरी ठेस लगी। इस स्थिति से रूसी जनता और अधिक क्रुद्ध हो गयी तथा पूरी तरह से जारशाही को समाप्त करने के लिए कटिबद्ध हो गई। वस्तुतः प्रथम विश्वयुद्ध में पराजय रूस में क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया।
15. कार्ल मार्क्स के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर- कार्ल मार्क्स का जन्म जर्मनी के राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। मार्क्स पर रूसो, मांटेस्क्यू एवं हीगले की विचारधारा का गहरा प्रभाव था। मार्क्स और एंगेल्स ने मिलकर 1848 में कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो अथवा साम्यवादी घोषणा-पत्र प्रकाशित किया। मार्क्स ने पूँजीवाद की घोर भर्त्सना की और श्रमिकों के हक की बात उठायी। उसने ‘दुनिया के मजदूरों एक हों’ का नारा दिया। मार्क्स ने अपनी विख्यात पुस्तक दास केपिटल का प्रकाशन 1867 में किया जिसे “समाजवादियों की बाइबिल” कहा जाता है।
16. मेन्शेविकों और बोल्शेविक के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर- रूस की बोल्शेविक क्रांति मेन्शेविकों (अल्पमतवाले साम्यवादियों) और वोल्शेविकों (बहुमतवाले साम्यवादियों) के बीच सत्ता संघर्ष का परिणाम थी। रूस में राजतंत्र की समाप्ति के बाद सत्ता मेन्शेविक दल के नेता करेन्सकी के हाथों में आई, परंतु उसकी सरकार अलोकप्रिय थी। मेन्शेविक संवैधानिक रूप से देश में राजनीतिक परिवर्तन चाहते थे तथा मध्यमवर्गीय क्रांति के समर्थक थे। परंतु बोल्शेविक क्रांति के द्वारा परिवर्तन लाना चाहते थे जिसमें मजदूरों की विशेष भूमिका हो। बोल्शेविक दल के नेता लेनिन ने ट्रॉटस्की की सहायता से केरेन्सी की सरकार का तख्ता पलट दिया।
17. अक्टूबर क्रांति क्या है ?
उत्तर- 1917 में रूस में जो क्रांति हुई उसे अक्टूबर क्रांति अथवा बोल्शेविक क्रांति के नाम से जाना जाता है। यद्यपि यह क्रांति 7 नवंबर, 1917 को हुई थी (नई ग्रेगोरियन कैलेंडर)। परंतु पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार वह दिन 25 अक्टूबर, 1917 था। इसलिए बोल्शेविक क्रांति, अक्टूबर क्रांति भी कहलाती है।
18. शीतयुद्ध से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर- शीतयुद्ध प्रत्यक्ष युद्ध न होकर वाकद्वन्द्व द्वारा एक-दूसरे राष्ट्र को नीचा दिखाने का वातावरण है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पूँजीवादी राष्ट्रों और रूस के बीच इसी प्रकार का शीतयुद्ध चलता रहा।
19. क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी ?
उत्तर- रूस में जनसंख्या का बहुसंख्यक भाग कृषक ही थे परंतु उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय थी। कृषि दासता समाप्त कर दी गई थी परंतु किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था। उनके पास पूँजी का अभाव था तथा करों के बोझ से वे दबे हुए थे।
20. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं ?
उत्तर- सर्वहारा वर्ग समाज का वैसा वर्ग है जिसमें किसान, मजदूर एवं आम गरीब लोग शामिल होते हैं। मार्क्स के अनुसार सर्वहारा वर्ग मजदूरों तथा श्रमिकों का वर्ग था जो सुविधाविहिन वर्ग था जिसे कोई अधिकार प्राप्त नहीं था। यह पूँजीपतियों के द्वारा शोषित तथा उपेक्षित वर्ग था।
21. 1881 ई० में जार एलेक्जेंडर द्वितीय की हत्या किसने की ?
उत्तर- रूस के शासक जार एलेक्जेंडर द्वितीय की हत्या 1881 ई० में निहिलिस्टों ने कर दी थी।
22. रासपुटिन कौन था ?
उत्तर- रासपुटिन जार निकोलस II का गुरु था जो एक भ्रष्ट, बदनाम और रहस्यमय पादरी था।
23. खूनी रविवार क्या है ?
उत्तर- रूस में 9 जनवरी, 1905 को लोगों का समूह ‘रोटी दो’ के नारे के साथ सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए सेंट पीट्सवर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था, परंतु – जार की सेना इन निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाई जिसमें हजारों लोग मारे गए। इसलिए इस दिन को रूस में खूनी रविवार (लाल रविवार) के नाम से जाना जाता है।
24. रॉबर्ट ओवेन का संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तर- इंगलैंड में समाजवाद का प्रवर्तक रॉबर्ट ओवेन को माना जाता है। इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप, श्रमिकों के शोषण को रोकने हेतु ओवेन ने एक आदर्श समाज की स्थापना का प्रयास किया। उसने स्कॉटलैंड के न्यूलूनार्क नामक स्थान पर एक आदर्श कारखाना और मजदूरों के आवास की व्यवस्था की। इसमें श्रमिकों को अच्छा भोजन, आवास और उचित मजदूरी देने की व्यवस्था की गयी।
25. साम्यवाद के जनक कौन थे ? समाजवाद एवं साम्यवाद में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- साम्यवाद के जनक फ्रेडरिक एंगेल्स तथा कार्ल मार्क्स थे। समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया रूप प्रदान किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में पूँजीपति वर्गों द्वारा मजदूरों का शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन्हें इस शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने तथा वर्गविहिन समाज करने में समाजवादी विचारधारा ने अग्रणी भूमिका अदा की। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। यह एक शोषण-उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है। आरंभिक समाजवादियों में सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए, लुई ब्लाँ तथा राबर्ट ओवेन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ये सभी समाजवादी उच्च और व्यवहारिक आदर्श से प्रभावित होकर ‘वर्ग संघर्ष’ की नहीं बल्कि ‘वर्ग समन्वय’ की बात करते थे।
दूसरे प्रकार के समाजवादियों में फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और उनके बाद के चिंतक ‘साम्यवादी’ कहलाए। ये लोग समन्वय के स्थान पर वर्ग संघर्ष की बात की। इन लोगों ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की जिसे वैज्ञानिक समाजवाद कहा जाता है। मार्क्सवादी दर्शन साम्यवाद के नाम से विख्यात हुआ। मार्क्स का मानना था कि मानव इतिहास ‘वर्ग संघर्ष’ का इतिहास है। इतिहास उत्पादन के साध नों पर नियंत्रण के लिए दो वर्गों के बीच चल रहे निरंतर संघर्ष की कहानी है।
26. समाजवाद के उदय और विकास को रेखांकित करें।
उत्तर- समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया रूप प्रदान किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में पूँजीपति वर्गों द्वारा मजूदरों का लगातार शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन्हें इस शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने तथा वर्गविहीन समाज की स्थापना करने में समाजवादी विचारधारा ने अग्रणी भूमिका अदा की। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। यह एक शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है।
समाजवादी विचारधारा की उत्पत्ति 18 वीं शताब्दी के प्रबोधन आंदोलन के दार्शनिकों के लेखों में ढूँढें जा सकते हैं। आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी थे, जिनमें – सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए, लुई ब्लाँ तथा रॉबर्ट ओवेन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। समाजवादी आंदोलन और विचारधारा मुख्यतः दो भागों में विभक्त की जा सकती है –
(i) आरंभिक समाजवादी अथवा कार्ल मार्क्स के पहले के समाजवादी
(ii) कार्ल मार्क्स के बाद के समाजवादी।
आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी या ‘स्वप्नदर्शी’ समाजवादी कहे गए। वे उच्च और अव्यावहारिक आदर्श से प्रभावित होकर “वर्ग संघर्ष” की नहीं बल्कि ‘वर्ग समन्वय’ की बात करते थे। दूसरे प्रकार के समाजवादियों में फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और उनके बाद के चिंतन जो ‘साम्यवादी’ कहलाए ने वर्ग समन्वय के स्थान पर ‘वर्ग संघर्ष’ की बात कही। इन लोगों ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत – की जिसे “वैज्ञानिक समाजवाद” कहा जाता है।
27. रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें।
उत्तर- 1917 की बोल्शेविक क्रांति के दूरगामी और व्यापक प्रभाव पड़े। इसका प्रभाव न सिर्फ रूस पर बल्कि विश्व के अन्य देशों पर भी पड़ा। इस क्रांति के रूस पर निम्नलिखित प्रभाव हुए –
(i) स्वेच्छाचारी जारशाही का अंत-1917 की बोल्शेविक क्रांति के परिणामस्वरूप अत्याचारी एवं निरंकुश राजतंत्र की समाप्ति हो गई। रोमनोव वंश के शासन की समाप्ति हुई तथा रूस में जनतंत्र की स्थापना की गई।
(ii) सर्वहारा वर्ग के अधिनायकवाद की स्थापना-बोल्शेविक क्रांति ने पहली बार शोषित सर्वहारा वर्ग को सत्ता और अधिकार प्रदान किया। नई व्यवस्था के अनुसार भूमि का स्वामित्व किसानों को दिया गया। उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व समाप्त कर दिया गया। मजदूरों को मतदान का अधिकार दिया गया।
(iii) नई प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना-क्रांति के बाद रूस में एक नई प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना की गई। यह व्यवस्था साम्यवादी विचारधारा के अनुकूल थी। प्रशासन का उद्देश्य कृषकों एवं मजदूरों के हितों की सुरक्षा करना एवं उनकी प्रगति के लिए कार्य करना था। रूस में पहली बार साम्यवादी सरकार की स्थापना हुई।
(iv) नई सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था क्रांति के बाद रूस में नई सामाजिक आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। सामाजिक असमानता समाप्त कर दी गई। वर्गविहीन समाज का निर्माण कर रूसी समाज का परंपरागत स्वरूप बदल दिया गया।
क्रांति का विश्व पर प्रभाव- रूसी क्रांति का विश्व के दूसरे देशों पर भी प्रभाव पड़ा। ये प्रभाव निम्नलिखित थे –
(i) पूँजीवादी राष्ट्रों में आर्थिक सुधार के प्रयास विश्व के जिन देशों में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था थी। वे भी अब यह महसूस करने लगे कि बिना सामाजिक, आर्थिक समानता के राजनीतिक समानता अपर्याप्त है।
(ii) साम्यवादी सरकारों की स्थापना-रूस के समान विश्व के अन्य देशों चीन, वियतनाम इत्यादि में भी बाद में साम्यवादी सरकारों की स्थापना हुई। साम्यवादी विचारधारा के प्रसार और प्रभाव को देखते हुए राष्ट्रसंघ ने भी मजदूरों की दशा में
सुधार लाने के प्रयास किए। इस उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ की स्थापना की गई।
(iii) साम्राज्यवाद के पतन की प्रक्रिया तीव्र-बोल्शेविक क्रांति ने साम्राज्यवाद के पतन का मार्ग प्रशस्त कर दिया। रूस ने सभी राष्ट्रों में विदेशी शासन के विरुद्ध चलाए जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन को अपना समर्थन दिया। एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशों से स्वतंत्रता के लिए प्रयास तेज कर दिए गए।
(iv) नया शक्ति संतुलन रूस के नवनिर्माण के बाद रूस साम्यवादी सरकारों का अगुआ बन गया। दूसरी ओर अमेरिका पूँजीवादी राष्ट्रों का नेता बन गया। इससे विश्व दो शक्ति खंडों में विभक्त हो गया। इसने आगे चलकर दोनों खेमों में सशस्त्रीकरण की होड़ एवं शीतयुद्ध को जन्म दिया।
28. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धांतों का वर्णन करें।
उत्तर- कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई० को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में कार्ल मार्क्स की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मार्क्स पर रूसो, मॉटेस्क्यू एवं हीगेल के विचारधारा का गहरा प्रभाव था। मार्क्स और एंगेल्स ने मिलकर 1848 में कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो अथवा साम्यवादी घोषणा-पत्र प्रकाशित किया। मार्क्स ने पूँजीवाद की घोर । भर्त्सना की और श्रमिकों के हक की बात उठाई। मजदूरों को अपने हक के लिए लड़ने को उसने उत्प्रेरित किया। मार्क्स ने 1867 ई० में “दास-कैपिटल” नामक पुस्तक की रचना की जिसे ‘समाजवादियों का बाइबिल’ कहा जाता है। मार्क्सवादी दर्शन साम्यवाद (Communism) के नाम से विख्यात हुआ।
मार्क्स के सिद्धांत –
(i) द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत
(ii) वर्ग संघर्ष का सिद्धांत
(iii) इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
(iv) मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
(v) राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना।
29. लेनिन के जीवन एवं उपलब्धियों की समीक्षा करें।
उत्तर- बोल्शेविक क्रांति का प्रणेता लेनिन था। उसका पूरा नाम ब्लादिमीर इलिच अलयानोव था। उसका जन्म 10 अप्रैल, 1870 को बोल्गा नदी के किनारे स्थित सिमब्रस्क नामक गाँव में हुआ था। विद्यार्थी जीवन से ही वह मार्क्सवाद से प्रभावित होकर इसका कट्टर समर्थक बन गया। वह रूस की तत्कालीन स्थिति से क्षुब्ध था और प्रचलित व्यवस्था की समाप्ति चाहता था। उसने बोल्शेविक दल का नेतृत्व ग्रहण किया। ट्रॉटस्की के सहयोग से उसने करेन्सकी की सरकार का तख्ता पलट दिया। शासन संभालते ही उसने अपने उद्देश्य और कार्यक्रम निश्चित किए। उसका उद्देश्य रूस का नवनिर्माण करना था।
लेनिन की उपलब्धियाँ :
(i) सर्वप्रथम लेनिन ने जर्मनी के साथ युद्ध बंद कर दिया। 1918 में रूस ने जर्मनी के साथ ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि कर ली।
(ii) लेनिन ने चेका नामक गुप्त पुलिस दस्ता का गठन कर तथा ट्रॉटस्की ने लाल सेना का गठन कर विदेशी सेना को रूस से बाहर खदेड़कर रूस के आंतरिक विद्रोहियों का दमन कर दिया।
(iii) बोल्शेविक सरकार ने नई आर्थिक नीति की व्यवस्था की। राष्ट्र की सारी संपत्ति तथा उत्पादन और वितरण के साधनों पर सरकारी आधिपत्य स्थापित किया गया।
(iv) लेनिन ने 1921 में एक नई आर्थिक नीति (NEP) लागू की। इसके अनुसार सीमित रूप से किसानों और पूँजीपतियों को व्यक्तिगत संपत्ति रखने की अनुमति दी गई। खेती की पैदावार बढ़ी तथा उद्योग धंधों में भी उत्पादन बढ़ा। इससे रूस समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ा।
Samajwad Evam Samyavad – समाजवाद एवं साम्यवाद
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