10th science vvi subjective 202
Class 10 Science-विज्ञान Objective Latest Updates Matric [कक्षा-10]

जैव प्रक्रम जीव विज्ञान कक्षा 10 Subjective Question 2021

11. जैव प्रक्रम


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1. श्वसन क्या है ?

उत्तर-  शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग श्वसन कहलाता है। इसे निम्न समीकरण द्वारा समझा जा सकता है। 

C6H12O6 + 6O2 —> 6CO2 + 6H2O + 673Kcal. 


 2. स्वपोषण की आवश्यक शर्ते क्या है ? इसके उपोत्पाद क्या हैं ? 

उत्तर- स्वपोषण के लिए निम्न शर्तों को पूरा करना आवश्यक है –

(a) पर्णहरित या क्लोरोफिल की उपस्थिति

(b) कार्बन डाइऑक्साइड (CO)की उपस्थिति 

(c) जल (H,O) की उपस्थिति

              पर्णहरित या क्लोरोफिल सूर्य से विकिरण ऊर्जा को अवशोषित करते हैं। जिसके द्वारा CO2 एवं H2O का स्थिरीकरण कर अपने भोजन कार्बोहाइट्रेट का निर्माण करते हैं। उपोत्पाद के रूप में ग्लूकोज एवं ऑक्सीजन प्राप्त होते हैं। ग्लूकोज अंततः स्टार्च में बदल जाता है।



3. उत्सर्जन क्या है ? मानव में इसके दो प्रमुख अंगों के नाम लिखें। 

 उत्तर- जीवों के शरीर से उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निष्कासन की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। 

मानव में इसके दो प्रमुख अंग के नाम निम्नलिखित हैं –

(i) वृक्क (Kidney)—जो रक्त में द्रव्य के रूप में अपशिष्ट पदार्थों (liquid waste product) को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालता है।

(ii) फेफड़ा (Lungs)- जो रक्त में गैसीय अपशिष्ट पदार्थों (gaseous waste product) को शरीर से बाहर निकालता है। 


4. परिसंचरण तंत्र से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- उच्च श्रेणी के जंतुओं में एक विशेष प्रकार का परिवहन तंत्र होता है जो ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, पोषक तत्वों, हार्मोन, उत्सर्जी पदार्थों या अन्य। उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न विभिन्न पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में ले जाता है, जिसे परिसंचरण तंत्र कहते हैं। इस तंत्र के तीन प्रमुख अवयव हैं –

(i) रक्त या रूधिर, (ii) हृदय, (iii) रक्त वाहिनियाँ 


5. वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए क्या महत्त्व है ? 

 उत्तर- वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए निम्नलिखित महत्त्व हैं –

(i) यह पौधों के मूलरोम द्वारा खनिज लवणों के अवशोषण एवं जड़ से पत्तियों तक उनके परिवहन में सहायक होता है।

(ii) यह पौधों में तापक्रम संतुलन बनाये रखता है।

(iii) वाष्पोत्सर्जन के कारण ही पौधों की जड़ों से चोटी तक जल की निश्चित धारा बनी रहती है।

(iv) दिन में रंध्रों के खुले रहने पर वाष्पोत्सर्जन कर्षण ही जाइलम में जल की गति के लिए मुख्य प्रेरक बल का कार्य करता है।


6. रक्त की संरचना को समझाएँ।

उत्तर- रक्त लाल रंग का गाढ़ा, क्षारीय तरल पदार्थ है, जो मुख्य रूप से कोशिका एवं प्लाज्मा से बना है। रक्त कोशिका तीन प्रकार की होती है—लाल रक्त कोशिका, श्वेत रक्त कोशिका एवं पट्टिकाणु। 

प्लाज्मा (50-55%) में 90-92% जल, 6-8% प्लाज्मा प्रोटीन एवं 1-2% अकार्बनिक लवण पाये जाते है। इसमें ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, वसा आदि पाये जाते हैं। 



7. रक्त पट्टिकाणु की क्या उपयोगिता है ?

उत्तर- रक्त पट्टिकाणु सबसे छोटे आकार की रक्त कोशिकाएँ हैं, इसे विषाणु या थ्रोम्बोसाइट्स भी कहते हैं। ये अस्थिमज्जा के मैगाकैरिओसाइट्स द्वारा निर्मित होते हैं। ये रक्त को थक्का बनाने में मदद करता है। 


8. मृतजीवी पोषण क्या है ? 

उत्तर- जीव मृत जंतुओं और पौधों के शरीर से अपना भोजन, अपने शरीर की सतह से, घुलित कार्बनिक पदार्थों के रूप में अवशोषित करते हैं। यही मृतजीवी पोषण है। मृतजीवी अपना भोजन मुख्यतः तरल अवस्था में अवशोषण द्वारा ग्रहण करते हैं। जंतुओं और पौधों की मृत्यु के पश्चात् उनके मृत शरीर को मृतजीवी अपघटित कर, अर्थात् सड़ा-गलाकर उनके मूल तत्त्वों को बदल देते हैं। ऐसे मूल तत्त्व पुनः मिट्टी में प्रतिस्थापित हो जाते हैं और उत्पन्न गैस वातावरण में मिल जाते हैं। इन तत्त्वों को फिर से हरे पौधे मिट्टी से ग्रहण कर अपने उपयोग में लाते हैं। । यही चक्र पृथ्वी में निरंतर चलता रहता है। 


9. जीवन के अनुरक्षण के लिये आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे ? 

उत्तर- जीवन के अनुरक्षण के लिये हम निम्नलिखित प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे –

 (i) पोषण, (ii) श्वसन, (iii) परिवहन एवं (iv) उत्सर्जन इत्यादि । 

पर इन जैव प्रक्रमों के अतिरिक्त सभी जीवधारी जनन (reproduction) द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं । यह क्रियाएँ जीवन के लिये अति आवश्यक हैं ।


10. धमनी व शिरा में अंतर बताएँ । 

उत्तर- धमनी व शिरा में अंतर निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है –

(i) धमनी शुद्ध या ऑक्सीजनित रक्त (pure or oxygenated blood) को हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती है। शिराओं में यह अशुद्ध रक्त या विऑक्सीजनित रक्त (impure or deoxygenated blood) को विभिन्न अंगों से हृदय की ओर ले जाती है।

(ii) धमनियों की दीवारें मोटी, लचीली तथा कपाटहीन होती हैं। शिरा की दीवार धमनी की अपेक्षा पतली होती है। अधिकतर शिराओं में हृदय की ओर खुलनेवाले कपाट लगे होते हैं जो रक्त को शिरा से सिर्फ हृदय की ओर जाने देते हैं। 


11. प्रकाशसंश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधे कहाँ से प्राप्त करते हैं ? 

उत्तर- प्रकाशसंश्लेषण के लिए पौधे कच्ची सामग्री निम्नांकित जगहों से प्राप्त करते हैं –

(i) कार्बन डाइऑक्साइड (CO)- इसे वायुमंडल से प्राप्त किया जाता है।

(ii) जल- भूमि से पौधे जड़ों द्वारा प्राप्त करते हैं। 

(iii) पर्णहरित— यह पौधों के कोशिकाओं में स्थित हरित लवक होते हैं। (iv) सूर्य का प्रकाश-सूर्य के प्रकाश से पौधे फोटोन ऊर्जा कणों के रूप में प्राप्त करते हैं जो क्लोरोफिल में संचित होकर आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाए जाते हैं।



12. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद होते हैं ? 

उत्तर- जल में ऑक्सीजन काफी कम घुलित होते हैं, जबकि अधिक जैव ऊर्जा के उत्पादन के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है-जलीय जीव (मछलियाँ) सर्वप्रथम मुख के द्वारा घुलित ऑक्सीजन को लेती है, तथा विसरण के द्वारा क्लोम की कोशिकाओं में अवशेषित कर लेती है। जबकि स्थलीय जीव फेफड़ा के द्वारा आसानी से ऑक्सीजन ले पाते हैं।


13. वाष्पोत्सर्जन को परिभाषित करें। 

उत्तर- द्रव का कमरे के ताप या द्रव के क्वथनांक के नीचे के तापों पर वाष्प बनकर धीरे-धीरे वायुमंडल में जाने की प्रक्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है।


14. पौधों में गैसों का आदान-प्रदान कैसे होता है ?

उत्तर- पौधों में गैसों का आदान-प्रदान विसरण की क्रिया के द्वारा पौधों की पत्तियों पर स्थित रंध्रों (stomata) पुराने वृक्षों के तनों की कड़ी त्वचा (bark) पर स्थित वातरंध्रों (lenticels) एवं अंतरकोशिकीय स्थानों (intercellular spaces) के द्वारा होती है। इस क्रिया में पौधो की आवश्यकताओं एवं पर्यावरणीय अवस्था का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। 


15. आमाशय में पाचक रस की क्या भूमिका है ?  

उत्तर- पाचक रस (आमाशय) में HCL पाया जाता है जो निष्क्रिय पेप्सिनोजेन को सक्रिय पेप्सिन नामक एंजाइम में बदल देता है। पेप्सिन भोजन के प्रोटीन पर कार्य कर उसे पेप्टोन (Peptone) में बदल देता है। HCL भोजन के साथ आनेवाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। इसके अतिरिक्त गैस्ट्रिक लाइपेज एंजाइम भी पाचक रस में होता है, जो वसा के आंशिक पाचन में मदद करता है। 



16. ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर- अभिवाही एवं अपवाही धमनिका के संयोग को ग्लोमेरुलर करते अपवाही धमनिका का व्यास कम होने के कारण ग्लोमेरुलस के अन्दर दबाव अधिक बढ़ जाता है तथा इस उच्च दबाव पर रक्त के छनने की प्रक्रिय है, जिसे ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन या अल्ट्राफिल्ट्रेशन कहते हैं। इसके कारण पर 1150-180 लीटर रक्त का वृक्कीय निस्पंद होता है, जिनमें 168.5 लीटर अवशोषित कर लिया जाता है एवं 1.5 से 1.8 लीटर मूत्र बनता है। 


23. विषमपोषी पोषण से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर-विषमपोषी पोषण वह प्रक्रिया है, जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संपलेल न कर किसी अन्य स्रोतों पर निर्भर करते हैं। जैसे—सभी जन्तु, अहरित पौधे (कवक)इसके तीन प्रकार हैं-(i) मृतजीवी पोषण, (ii) परजीवी पोषण, (iii) प्राणि पोषण। 


24. पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग क्यों कहा जाता है ? 

उत्तर- पत्तियों में अंदर हरे वर्णक पर्णहरित या क्लोरोफिल की उपस्थिति होती है और प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रम केवल क्लोरोफिल की उपस्थिति में संभव होता है । इसलिए पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग कहा जाता है । 


25. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?

उत्तर- हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका निम्नलिखित हैं –

(i) यह जीवाणुनाशक की तरह कार्य कर भोजन के साथ आनेवाले  बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। 

(ii) भोजन इसके कारण शीघ्रता से नहीं पचता ।


26. मनुष्य में कितने प्रकार के दाँत पाये जाते हैं ? उनके नाम तथा कार्य लिखें।

उत्तर- मनुष्य में दाँत चार प्रकार के होते हैं—कतर्नक या इन्साइजर, भेदक या कैनाइन, अग्रचवर्णक या प्रीमोलर तथा चवर्णक या मोलर ।

         कतर्नक को काटने वाला दाँत कहते हैं, भेदक-चिरने या फाड़ने वाला दाँत होता है । अग्रचवर्णक एवं चवर्णक को चबाने एवं पीसने वाला दाँत कहा जाता है । 


27. लगातार दौड़ते रहने से मनुष्य की माँसपेशियों में दर्द हो जाता है। इसके पीछे जैव वैज्ञानिक कारण क्या है ?

उत्तर- लगातार दौड़ते रहने से मनुष्य की माँसपेशियों में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है । यह मांसपेशियों में जमा हो जाता है, जिसके कारण मांसपेशियों में असह्य दर्द की अनुभूति होती है । यह दर्दयुक्त क्रैम्पस उत्पन्न करती है । यह एक प्रकार का अवायवीय श्वसन है ।



28. पित्त क्या है ? मनुष्य के पाचन में इसका क्या महत्त्व है ? 

उत्तर- पित्त यकृत ग्रंथि से स्रावित होने वाला (श्राव) द्रव्य है जो छोटी आँत में भोजन के पाचन में मदद करता है।  मनुष्य के पाचन क्रिया में इसका निम्नलिखित महत्त्व है- .

(i) पित्त आमाशय से ग्रहणी में आए अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बना देता है ताकि अग्न्याशयी रस के एंजाइम उस पर क्रिया कर सके।

(ii) पित्त भोजन में वसा के बड़े कण को सक्ष्म कण में तोड़ने में (emulsification) मदद करता है, ताकि लाइपेज एंजाइम उस पर क्रिया कर वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर सके। इस प्रकार वसा के पाचन में पित्त का महत्त्व है। 


29. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते है ? 

उत्तर- हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में पायी जाती है, यह ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन का निर्माण करती है। यह कोशिका में ऑक्सीजन को विसरित कर देती है, जिससे कोशिकीय श्वसन हो सके। 

         हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से एनिमिया नामक बीमारी हो जाती है। लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। कोशिका को पूरी तरह ऑक्सीजन । नहीं मिल पाता है, जिसके कारण कोशिकीय श्वसन बाधित हो जाता है। 


30. लसीका की क्या उपयोगिता है ? प्रकाश डालें। 

उत्तर- लसीका श्वेत संवहनी संयोजी ऊतक है। रक्त प्लाज्मा की कुछ मात्रा कोशिकाओं से विसरित होकर ऊतकों में स्थित कोशिकाओं के बीच के रिक्त स्थानों में प्रविष्ट हो जाती है। ये विसरित प्लाज्मा को ऊतक द्रव या लसीका कहते हैं। 

लसीका के द्वारा कोशिकाओं में ऑक्सीजन सरलतम भोज्य पदार्थों तथा हार्मोन का विसरण होता है। इसके द्वारा CO2 जल तथा अपशिष्टों का भी विसरण होता है।


31. पौधों में मूलरोमों की कोशिकाओं में जल के पहुँचने की विधि का उल्लेख करें।

उत्तर- मृदा से जल का अवशोषण जलीय पौधों में मूलरोमों के द्वारा होता है। मृदा से जल मूलतः विसरण की प्रक्रिया से मूलरोम की कोशिकाओं में प्रवेश कर जाता है। चूंकि मूलरोम की कोशिकाओं में कोशिका द्रव का परासरण दाब भूमि जल के दाव से अधिक होता है। अत: सांद्रता प्रवणता के अनुसार भूमि से मूलरोमों की कोशिकाओं की ओर जल का बहाव होता है।


32. उत्सर्जन क्या है ? उत्सर्जन में भाग लेने वाले वृक्क से अन्य रचनाओं को सूचीबद्ध करें।

उत्तर- शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकलना उत्सर्जन कहलाता है मनुष्य में उत्सर्जन से संबंधित महत्त्वपूर्ण रचनाएँ निम्नांकित हैं –

(i) वृक्क, (ii) मूत्रवाहिनी, (iii) मूत्राशय (iv) मूत्रमार्ग 



33. परपोषण किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ? 

उत्तर- जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं करते हैं अपित किसी-न-किसी रूप में अन्य स्रोतों से प्राप्त करते हैं। परपोषण निम्नांकित चार प्रकार के होते हैं –

(i) प्राणिसम पोषण

(ii)मृतजीवी पोषण

(iii) परजीवी पोषण

(iv) परासरणी पोषण। 


34. पाचन किसे कहते हैं ? मनुष्य के आहारनाल के विभिन्न भागों का नाम बताएँ।

उत्तर- वह क्रिया जिसमें एंजाइमों की सहायता से जटिल भोज्य पदार्थों को सरल अणुओं में अपघटित किया जाता है, जिससे ये अवशोषित होकर हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर सके, पाचन कहलाती है। मनुष्य के आहारनाल में निम्नलिखित भाग होते हैं—मुखगुहा, ग्रसनी, ग्रासनली, आमाशय, छोटी आँत, बड़ी आँत, मलाशय एवं मलद्वार। 


35. पोषण क्या है ? इनके विभिन्न चरण कौन-कौन से हैं ?

उत्तर- पोषण एक जटिल प्रक्रम है जिसके अंतर्गत कोई जीवधारी भोजन ग्रहण करता है, जिसके द्वारा शरीर-रचना, टूट-फूट की मरम्मत एवं अन्य सभी जैविक क्रियाओं का संचालन एवं नियमन होता है । मुख, आहार नली, आमाशय, क्षुद्रांत्र आंत की भित्ति। बिना पचा भोजन वृहमान में भेज दिया जाता है। 


36. पौधे अपना उत्सर्जी पदार्थ किस रूप में निष्कासित करते हैं ? 

उत्तर- पौधे अपना उत्सर्जन जंतुओं से बिलकुल भिन्न रूप में युक्ति अपनाकर करते हैं । प्रकाशसंश्लेषण में जनित ऑक्सीजन भी एक अपशिष्ट उत्पाद है । पौधे अतिरिक्त जल से वाष्पोत्सर्जन द्वारा छुटकारा पा सकते हैं । पौधे अपने कुछ उत्पाद जैसे-पत्तियों का क्षय भी कर सकते हैं। बहुत से पादप अपशिष्ट उत्पाद कोशिका रिक्तिका में संचित रखते हैं । पौधों से गिरने वाली पत्तियों में भी अपशिष्ट उत्पाद संचित रहते हैं । अन्य अपशिष्ट उत्पाद रेजिन तथा गोंद के रूप में विशेषतया पुराने जाइलम में संचित रहते हैं । पादप भी कुछ अपशिष्ट पदार्थों को अपने आसपास की मृदा में उत्सर्जित करते हैं। 



37. मानव के रक्त के कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर- रक्त के कार्य-रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है, क्योंकि वह अपने प्रवाह के दौरान शरीर के सभी ऊतकों का संयोजन करता है। 

(i) यह फेफड़े से ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों में परिवहन करता है।

(ii) यह शरीर की कोशिकाओं से CO2 को फेफड़े तक लाता है, जो श्वासोच्छ्वास के द्वारा बाहर निकल जाता है।

(iii) यह पचे भोजन को छोटी आंत से शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाता है।

(iv) यह शरीर को विभिन्न रोगाणुओं के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है, क्योंकि रक्त के घटक WBC, शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र का निर्माण करते हैं।

(v) रक्त पट्टिकाणु, रक्त जमने में सहायक होते हैं।


38. वृक्क के महत्त्वपूर्ण कार्य क्या हैं ? 

उत्तर- वृक्क रक्त में जल की उचित मात्रा को बनाए रखने में सहायक हो है। यह रक्त में खनिज की सही समानता बनाए रखता है। यह शरीर से दषित पटा का उत्सर्जन करते हैं अन्यथा अगर यह शरीर में रहे तो उस जीव के लिए खतरनाक साबित होते हैं। वृक्क रक्त के संपूर्ण आयतन को व्यवस्थित करता है। शरीर में अत्यधिक रक्तस्त्राव होने से रक्तचाप कम हो जाता है, जिससे कम मात्रा में ग्लोमेरूलर फिल्ट्रेट बनता है व वृक्क से निम्न मात्रा में मूत्र का उत्सर्जन होता है। इस प्रकार शरीर में तरल पदार्थ की अवस्था में सभी लवण, ग्लूकोज और अन्य पदार्थ संचित रहते हैं।


39. रक्त क्या है ? इसके घटकों का वर्णन करें। 

उत्तर- रक्त- रक्त एक तरल संयोजी उत्तक है। यह लाल रंग का गाढा क्षारीय (pH = 7.4) तरल पदार्थ है जो हृदय तथा रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होता है। रक्त के दो प्रमुख घटक होते हैं-

(1) प्लाज्मा

(2) रक्त कोशिकाएँ 

(1) प्लाज्मा- यह रक्त का तरल भाग है। यह हल्के पीले रंग का चिपचिपा द्रव है जो आयतन के हिसाब से पूरे रक्त का करीब 55 प्रतिशत होता है। प्लाज्मा में करीब 90% जल, 7% प्रोटीन, 0.9% , अकार्बनिक लवण, 0.18% ग्लूकोज, 0.5% वसा शेष अन्य कार्बनिक पदार्थ होते हैं। 

(2) रक्त कोशिकाएँ—यह रक्त का ठोस भाग है जो कुल रक्त का करीब 45 प्रतिशत है। 

जिसमें मुख्य रूप से तीन प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं –

(i) लाल रक्त कोशिकाएँ (R.B.C)- इसमें एक विशेष प्रकार का प्रोटीन वर्णक हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) पाया जाता है। जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता है। हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन एवं कार्बनडाइऑक्साइड का वाहक होता है। हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन के साथ संयोग कर ऑक्सीहीमोग्लोबिन तथा कार्बनडाइऑक्साइड के साथ संयोग कर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है।

(ii) श्वेत रक्त कोशिकाएँ (W.B.C)- ये अनियमित आकार की न्यूक्लियस युक्त कोशिकाएँ हैं। इनमें हीमोग्लोबिन नहीं रहने के कारण रंगहीन होते हैं। इनकी संख्या लाल रक्त कोशिकाओं की अपेक्षा अत्यन्त कम होती है। इनका प्रमुख काय रोग-निरोधक क्षमता उत्पन्न करना है। 

(iii) रक्त पद्रिकाण- ये बिंबाणु या थ्रोम्बोसाइटस भी कहलाते हैं। इसका प्रमुख कार्य रक्त को थक्का बनने में सहायक होना है। 



40. रक्तदाब क्या है ? 

उत्तर- रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब कहते हैं । यह दाब शिराओं की अपेक्षा धमनियों में बहुत अधिक होता है । धमला के अंदर रुधिर का दाब निलय प्रकुंचन (संकुचन) के दौरान प्रकुंचन दाब तथा निल अनुशिथिलन (शिथिलन) के दौरान धमनी के अंदर का दाब अनुशिथिलन पर कहलाता है । सामान्य प्रकुंचन दाब लगभग 120mm (पारा) तथा अनुशिथिलन दाब लगभग 80mm (पारा) होता है । 


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