Non Hindi Subjective Question Class 10 – 1. तू जिन्दा है तो…
पाठ्य-पुस्तक : किसलय
(भाग-3)
1. तू जिन्दा है तो…
कविता – शंकर शैलेन्द्र
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1. ज़मी के पेट में पली अगन, पले हैं जलजले’ का भाव स्पष्ट करें ।
उत्तर- इस पंक्ति का भावार्थ है कि धरती के पेट की आग भूचाल को जन्म देती है। दुनिया में भूखे जन ही क्रांति का सृजन करते हैं। पेट की आग को रोकना कठिन है । इसमें भूकंप की ताकत और इंकलाब की शक्ति छिपी होती है ।
2. संघर्ष करने वाले मजदूर-किसानों को मौत से क्यों नहीं डरना चाहिए ?
उत्तर – समाज में इंकलाब करने वाले मजदूर – किसान मौत से नहीं डरते हैं । उसके दरवाजे पर मौत हजारों चेहरे बदल कर आती हैं । परंतु मौत इंकलाबी संघर्षरत मेहनतकश किसान-मजदूरों को धोखा नहीं दे पायी है । वह हारकर इनके दरवाजों से चल गयी है। मौत हारती है। हर सुबह नयी रोशनी देती है।
3. कब अत्याचारों के महल गिरेंगे और कब नये घरों के निर्माण होंगे ?
उत्तर- जब पेट की आग और दिल के दाग़ मिलकर ध्वंस रचकर नया विद्रोह खड़ा होगा, तब उस विद्रोह की आग में अत्याचारों के महल गिर जाएँगे और श्रमिकों के लिए नये-नये घर तैयार होंगे । विनाश के बाद ही नवनिर्माण होगा ।
4. हमारे कारवाँ को मंजिल का इंतज़ार है ।
ये आँधियाँ, ये बिजलियाँ की पीठ पर सवार है
तू आ कदम मिला के चल, चलेंगे एक साथ हम
उत्तर- प्रस्तुत काव्यांश ‘तू जिंदा है तो……’ पाठ से उद्धृत हैं। इसके कवि श्री शंकर शैलेन्द्र हैं। कवि इन पंक्तियों में कहना चाहता है कि हमारे संघर्ष के काफ़िले को केवल मंजिल की तलाश है। हम विपत्तियों की पीठ पर सवार होकर विजय प्राप्त करना चाहते हैं। हम इन आँधियों और तूफानों में एक साथ कदम मिलाकर चलें। हमें अपने पुरुषार्थ पर विश्वास है। हमें जीत अवश्य मिलेगी। हमारे कारवाँ को अपनी मंजिल का इंतजार है। उसकी पीठ पर आँधियाँ,बिजलियाँ सवार हैं।
5. बुरी है आग पेट की, बुरे हैं दिल के दाग ये
न दब सकेंगे, एक दिन बनेंगे इंकलाब ये
गिरेंगे जुल्म के महल, बनेंगे फिर नवीन घर
उत्तर- प्रस्तुत काव्यांश ‘तू जिंदा है तो …….’ पाठ से उद्धृत हैं । प्रस्तुत काव्यांश के रचयिता श्री शंकर शैलेन्द्र हैं । कवि भूख से दग्ध शोषण पर आधारित क्रांति का आहवान करता है। पेट की आग जब प्रखर होती है, तो महाक्रांति का जन्म होता है। जनता के पेट की आग और दिल के ज़ख्म इंकलाब (क्रांति) सृजन करते हैं । इस महाक्रांति में शोषण के महल ढह जाते हैं और जनता के लिए शांति के नये घर बनते हैं । कवि चाहता है कि जुर्म के महल ध्वस्त हों और समाज में प्रेम और शांति के नये घर बनें । इंकलाब में पेट की आग और दिल के दाग नहीं दब सकेंगे । ये दोनों मिलकर क्रांति पैदा करेंगे । tu zinda hai to kavita subjective question
6. ज़मीन के पेट में पली, पले हैं ज़लज़ले
टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये
मुसीबतों के सिर कुचल, चलेंगे एक साथ हम
इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर—प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘तू जिंदा है तो…..’ पाठ से उद्धृत हैं । इसके रचयिता श्री शंकर शैलेन्द्र हैं । इन पंक्तियों का भाव है कि धरती के पेट से क्रांति भूकंप पैदा हुए हैं । इस क्रांति – भूचाल के सामने रोग और शोक नहीं टिकेंगे । आइए, इस क्रांति की ज्वाला में हम साथ चलें और मुसीबतों के सर को कुचल डालें । पेट की आग ही समाज में महाक्रांति पैदा करती है। जमीन के पेट में जलजले (भूकंप) पलें हैं । हम संगठित होकर मुसीबतों के सिर को कुचल देंगे ।
7. ये गम के और चार दिन, सितम के और चार दिन
ये दिन भी जायेंगे गुज़र, गुज़र गये हज़ार दिन
कभी तो होगी इस चमन में भी बहार की नज़र
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
कवि इन पंक्तियों में क्या कहना चाहता है ?
उत्तर — प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘तू जिंदा है तो……’ पाठ से उद्धृत हैं । इसके रचयिता शंकर शैलेन्द्र हैं । कवि इन पंक्तियों में कहना चाहते हैं कि तुम ज़िंदा रहो और जीत में विश्वास रखो । संसार में दुःखं के चार दिन और जुर्म के चार दिन गुज़र जायेंगे। अभी जो बुरे दिन चल रहे हैं, वे भी गुज़र जायेंगे । फिर जीवन रूपी चमन में बहार आयेगी । तुम अपने पुरुषार्थ में विश्वास रखो अगर कहीं स्वर्ग है तो उसे ज़मीन पर उतार दो। जब जीवन में दुःख और जुर्म के चार दिन गुजर जाएँगे, तब खुशियों के दिन लौट आएँगे। उसी स्थिति में जीवन रूपी चमन बहार के दिन लौट आएँगे । कवि के अनुसार दुःख के बाद ही सुख के दिन आते हैं । अतः हमें घबराना नहीं चाहिए ।
8. हजार भेष धर के आई मौत तेरे द्वार पर
मगर तुझे न छल सकी, चली गई वो हारकर
नई सुबह के संग सदा तुझे मिली नई उमर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘तू जिंदा है तो…..’ पाठ से उद्धृत हैं । इसके रचयिता शंकर शैलेन्द्र हैं । इन पंक्तियों का भाव है कि मृत्यु तुम्हारे दरवाज़े पर हजार वेश बनाकर उपस्थित होती है । परंतु तुम्हारे संघर्ष के कारण मौत तुम्हें छल नहीं सकी । नयी सुबह के साथ तुझे जिंदगी की नयी उम्र मिली है। मौत तेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकी । तुम अपने पुरुषार्थ से धरती पर स्वर्ग उतार लाओ, मौत से मत डरो। कवि को छद्मवेश में आने वाली मौत छल नहीं सकी मौत हजार रूप पकड़कर कवि के द्वार पर दस्तक देती रही, लेकिन वह न कवि को छल सकती और न हरा सकती, उल्टे हारकर लौट गयी । संकल्प के आगे मौत छोटी होती है ।
9. तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत में यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर ।
दोहे का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘तू जिन्दा है तो ‘ शीर्षक कविता से उद्धृत है। इस दोहे के रचनाकार शंकर शैलेन्द्र हैं । कवि लोगों को उत्साहित करते हुए कहता है कि जब तक तुम्हारे शरीर में प्राण है, तुम्हें जीवन मार्ग में आनेवाली सारी कठिनाइयों को भूलकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयत्न करना चाहिए। ताकि हम अपने अदम्य साहस एवं कठोर परिश्रम से धरती को स्वर्ग बना सकें।
8. ‘तू ज़िंदा है तो……’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखें ।
उत्तर— ‘तू ज़िंदा हैं तो जिंदगी की जीत में यकीन कर शंकर शैलेन्द्र की पुरुषार्थवादी कविता है । मनुष्य को अपने पुरुषार्थ से स्वर्ग को धरती पर लाने का संकल्प लेना चाहिए । दुःख और मुसीबतों की घड़ियाँ अवश्य बीत जायेंगी । जीवन के चमन में बहार आयेगी । मनुष्य के द्वार पर मौत भी आए तो मौत का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए । हमारे जीवन का कारवाँ अपनी मंज़िल तक पहुँच कर ही दम लेगा । कवि का विश्वास है कि जब पेट की आग बढ़ती है तब ही महाक्रांति का शंखनाद होता है । पेट की आग की ज्वाला में शोषण के महल जलकर ख़ाक हो जायेंगे और जनता का नया घर निर्मित होगा । यह कविता जनक्रांति की घोषणा करती है । मनुष्य अपने संघर्ष से नये युग का निर्माण करेगा ।
9. ‘तू जिन्दा है तो …….’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देते हैं ?
उत्तर- ‘तू जिन्दा है तो…….’ कविता के रचयिता शंकर शैलेन्द्र हैं । ‘तू जिन्दा है तो…….’ कविता गहरे जीवन राग और उत्साह को प्रकट करती है। इस जीवन राग में अतीत के दुखदायी पलों को भूलकर आशा और जीत की नई दुनिया का स्वागत करने की प्रेरणा है।
इस कविता के माध्यम से कवि कहते हैं कि हमारे बुरे दिन गुजर जायेंगे और जीवन रूपी चमन में बहार आयेगी । तुम्हारे संघर्ष के कारण मौत तुम्हे छल नहीं सकती। हमारे संघर्ष के काफिले को केवल मंजिल की तलाश है। हम विपत्तियों की पीठ पर सवार होकर विजय प्राप्त करना चाहते हैं। मुझे अपने पुरुषार्थ पर विश्वास है, जीत अवश्य मिलेगी।
कवि कहते हैं कि क्रांति जब होती है तो शोषण के महल टूट जाते हैं और जनता के लिए शांति के नये घर बनते हैं। कवि चाहते हैं कि जुर्म के महल ध्वस्त हों समाज में प्रेम और शांति के नए घर बने। अगर कहीं स्वर्ग है तो हम अपने अदम्य साहस एवं कठोर परिश्रम से इस धरती पर उतार लाये। tu zinda hai to kavita subjective question
S.N | 10TH (MATRIC) EXAM 2025 | |
1. | 📘 SCIENCE (विज्ञान) | |
2. | 📕 SOCIAL SCIENCE (सामाजिक विज्ञान) | |
3. | 📒 MATH (गणित) | |
4. | 📓 HINDI (हिन्दी) | |
5. | 📗 NON-HINDI (अहिन्दी) | |
6. | 📔 MAITHILI (मैथिली) | |
7. | 📙 SANSKRIT (संस्कृत) | |
8. | 📚 ENGLISH (अंग्रजी) |