1. साम्यवाद के जनक कौन थे ? समाजवाद एवं साम्यवाद में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर :– साम्यवाद के जनक फ्रेडरिक एंगेल्स तथा कार्ल मार्क्स थे। समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया रूप प्रदान किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में पूँजीपति वर्गों द्वारा मजदूरों का शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन्हें इस शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने तथा वर्गविहिन समाज करने में समाजवादी विचारधारा ने अग्रणी भूमिका अदा की। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। यह एक शोषण–उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है। आरंभिक समाजवादियों में सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए, लुई ब्लाँ तथा राबर्ट ओवेन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ये सभी समाजवादी उच्च और व्यवहारिक आदर्श से प्रभावित होकर ‘वर्ग संघर्ष‘ की नहीं बल्कि ‘वर्ग समन्वय‘ की बात करते थे।
दूसरे प्रकार के समाजवादियों में फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और उनके बाद के चिंतक ‘साम्यवादी‘ कहलाए। ये लोग समन्वय के स्थान पर वर्ग संघर्ष की बात की। इन लोगों ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की जिसे वैज्ञानिक समाजवाद कहा जाता है। मार्क्सवादी दर्शन साम्यवाद के नाम से विख्यात हुआ। मार्क्स का मानना था कि मानव इतिहास ‘वर्ग संघर्ष‘ का इतिहास है। इतिहास उत्पादन के साध । नों पर नियंत्रण के लिए दो वर्गों के बीच चल रहे निरंतर संघर्ष की कहानी है।
2. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धांतों का वर्णन करें।
उत्तर- कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई० को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर – नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में कार्ल मार्क्स की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मार्क्स पर रूसो, मॉटेस्क्यू एवं हीगेल के विचारधारा का गहरा प्रभाव था। मार्क्स और एंगेल्स ने मिलकर 1848 में कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो अथवा साम्यवादी घोषणा-पत्र प्रकाशित किया। मार्क्स ने पूँजीवाद की घोर भर्त्सना की और श्रमिकों के हक की बात उठाई। मजदूरों को अपने हक के लिए लड़ने को उसने उत्प्रेरित किया। मार्क्स ने 1867 ई० में “दास-कैपिटल” नामक पुस्तक की रचना की जिसे ‘समाजवादियों का बाइबिल’ कहा जाता है। मार्क्सवादी दर्शन साम्यवाद (Communism) के नाम से विख्यात हुआ।
मार्क्स के सिद्धांत :- (i) द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत, (ii) वर्ग संघर्ष का सिद्धांत, (iii) इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या, (iv) मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत, (v) राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना।
3. लेनिन के जीवन एवं उपलब्धियों की समीक्षा करें।
उत्तर- बोल्शेविक क्रांति का प्रणेता लेनिन था। उसका पूरा नाम ब्लादिमीर इलिच अलयानोव था। उसका जन्म 10 अप्रैल, 1870 को बोल्गा नदी के किनारे स्थित सिमब्रस्क नामक गाँव में हुआ था। विद्यार्थी जीवन से ही वह मार्क्सवाद से प्रभावित होकर इसका कट्टर समर्थक बन गया। वह रूस की तत्कालीन स्थिति से क्षुब्ध था और प्रचलित व्यवस्था की समाप्ति चाहता था। उसने बोल्शेविक दल का नेतृत्व ग्रहण किया। ट्रॉटस्की के सहयोग से उसने करेन्सकी की सरकार का तख्ता पलट दिया। शासन संभालते ही उसने अपने उद्देश्य और कार्यक्रम निश्चित किए। उसका उद्देश्य रूस का नवनिर्माण करना था। .
लेनिन की उपलब्धियाँ :-
i) सर्वप्रथम लेनिन ने जर्मनी के साथ युद्ध बंद कर दिया। 1918 में रूस ने जर्मनी के साथ ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि कर ली।
(ii) लेनिन ने चेका नामक गुप्त पुलिस दस्ता का गठन कर तथा ट्रॉटस्की ने लाल सेना का गठन कर विदेशी सेना को रूस से बाहर खदेड़कर रूस के आंतरिक विद्रोहियों का दमन कर दिया।
(iii) बोल्शेविक सरकार ने नई आर्थिक नीति की व्यवस्था की। राष्ट्र की सारी संपत्ति तथा उत्पादन और वितरण के साधनों पर सरकारी आधिपत्य स्थापित किया गया।
(iv) लेनिन ने 1921 में एक नई आर्थिक नीति (NEP) लागू की। इसके अनुसार सीमित रूप से किसानों और पूँजीपतियों को व्यक्तिगत संपत्ति रखने की अनुमति दी गई। खेती की पैदावार बढ़ी तथा उद्योग धंधों में भी उत्पादन बढ़ा। इससे रूस समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ा।